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ISRO का कमाल: वैज्ञानिकों ने बनाई अंतरिक्ष ईंट, ये बैक्टीरिया और मिट्टी से मिलकर बनी; मंगल पर घर बनाने के काम आएगी

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बेंगलुरु3 घंटे पहले

मंगल ग्रह और चांद पर इंसानी बस्तियां कब बस पाएगी, इस सवाल का जवाब मिलने में अभी देर लगेगी। लेकिन इंसान वहां बसने के बाद कैसे रह पाएंगे, इस पर वैज्ञानिक दशकों से शोध कर रहे हैं। हाल ही में इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) बेंगलुरु ने मिलकर एक ऐसी ईंट तैयार की है, जिसकी मदद से मंगल पर इमारतें खड़ी की जा सकती हैं। ISRO की यह रिसर्च प्लॉस वन जर्नल में प्रकाशित हुई है।

कैसे बनी यह अंतरिक्ष ईंट?

भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा मंगल ग्रह के लिए बनाई गई अंतरिक्ष ईंट।

भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा मंगल ग्रह के लिए बनाई गई अंतरिक्ष ईंट।

अंतरिक्ष ईंट (स्पेस ब्रिक) बनाने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने बैक्टीरिया आधारित टेक्नोलॉजी की मदद ली। सबसे पहले मंगल से लाई गई मिट्टी को स्पोरोसारसीना पेस्टुरी नाम के बैक्टीरिया, ग्वार गम, यूरिया और निकल क्लोराइड में मिलाया गया। फिर इनसे बने मिश्रण को ईंट के आकार के सांचों में डाला गया। कुछ दिनों बाद बैक्टीरिया ने यूरिया को कैल्शियम कार्बोनेट के क्रिस्टल में बदल दिया। इससे ईंट पूरी तरह सख्त होकर तैयार हो गई।

चांद के लिए भी बन चुकी है ईंट

ISRO और IISc के वैज्ञानिकों द्वारा चांद के लिए बनाई गई अंतरिक्ष ईंट।

ISRO और IISc के वैज्ञानिकों द्वारा चांद के लिए बनाई गई अंतरिक्ष ईंट।

ISRO और IISc के वैज्ञानिकों ने अगस्त 2020 में भी कुछ ऐसा ही प्रयोग किया था। उस समय यह एक्सपेरिमेंट चांद की मिट्टी पर किया गया था। रिसर्चर्स का कहना है कि चांद की ईंट बनाने के लिए जिस प्रोसेस का इस्तेमाल हुआ था, वह केवल बेलनाकार (सिलेंड्रिकल) ईंटों को ही बना सकती थी। हालांकि इस साल वैज्ञानिकों ने जो प्रोसेस अपनाई है, उससे कई आकार की ईंटों को विकसित किया जा सकता है।

मंगल की मिट्टी से ईंट बनाना कठिन

मंगल की मिट्टी में आयरन ऑक्साइड की मात्रा काफी ज्यादा होती है, जिसकी वजह से बैक्टीरिया उसमें पनप नहीं पाते।

मंगल की मिट्टी में आयरन ऑक्साइड की मात्रा काफी ज्यादा होती है, जिसकी वजह से बैक्टीरिया उसमें पनप नहीं पाते।

IISc में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और रिसर्चर आलोक कुमार का कहना है कि मंगल ग्रह की मिट्टी से ईंट विकसित करना कोई आसान काम नहीं था। दरअसल, मंगल की मिट्टी में आयरन ऑक्साइड की मात्रा काफी ज्यादा होती है, जिसकी वजह से बैक्टीरिया उसमें पनप नहीं पाते। यही कारण है कि मिट्टी को बैक्टीरिया के लिए अनुकूल बनाने के लिए निकल क्लोराइड का सहारा लिया गया।

ईंटों पर और रिसर्च करना बाकी

वैज्ञानिकों ने अभी अंतरिक्ष ईंट का सिर्फ एक प्रोटोटाइप बनाया है। अभी इस पर और रिसर्च की जरूरत है। फिलहाल रिसर्चर्स ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह ईंट मंगल के वातावरण में टिक पाएगी या नहीं। बता दें कि पृथ्वी और मंगल के वातावरण में जमीन आसमान का अंतर है। वहां कार्बन डायऑक्साइड, परक्लोरेट्स ज्यादा और ग्रैविटी बेहद कम है। इससे ईंट के विकास में शामिल किए गए बैक्टीरिया पर असर पड़ सकता है।

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