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नई दिल्ली17 मिनट पहले
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देश की इंटेलिजेंस एजेंसियों ने सेना की साइबर सिक्योरिटी के उल्लंघन के बड़े मामले का खुलासा किया है। मंगलवार को हुए खुलासे के मुताबिक, यह जासूसी एक पड़ोसी देश की ओर से की गई है। सुरक्षा एजेंसियों को इस मामले में कुछ सैन्य अधिकारियों की मिलीभगत का संदेह है। जांच एजेंसियों को संदेह है कि सेना की साइबर सिक्योरिटी से जुड़ी सेंधमारी वॉट्सऐप मैसेजिंग ऐप से की गई है।
सूत्रों के मुताबिक इस मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं। दोषी अधिकारियों के खिलाफ सरकारी गोपनीयता कानून के तहत कार्रवाई होगी। संवेदनशील मसला होने के कारण जांच एजेंसियों ने ज्यादा जानकारी देने से इंकार किया है।
पाकिस्तानी और चीन से हो रहे साइबर हमले
हाल के दिनों में संदिग्ध पाकिस्तानी और चीनी ऑपरेटिव सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सैनिकों और उनकी गतिविधियों के बारे में संवेदनशील जानकारी हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। माना जा रहा है कि ये विदेशी ऑपरेटिव सैन्य कर्मचारियों से कुछ जानकारी निकालने में सफल रहे हैं।
बता दें कि सेना पहले ही सभी अधिकारियों को सिविलियन्स की तरफ से बनाए गए किसी भी सोशल मीडिया ग्रुप से दूर रहने का निर्देश दे चुकी है। उन लोगों से दूर रहने को कहा गया है जिनकी पहचान सत्यापित नहीं की जा सकती है।
सेना के जवान को बड़े ग्रुप से जुड़ने की मनाही
डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन ने सोशल मीडिया और व्हाट्सएप जैसे मैसेजिंग ऐप को लेकर निर्देश जारी किया था। इसके मुताबिक, सेना के किसी भी जवान को इंटरनेट आधारित मैसेंजर, चैट, ईमेल सर्विस पर किसी भी बड़े ग्रुप से जुड़ने की अनुमति नहीं है।
हालांकि, उस ग्रुप में जहां सभी मेंबर सेना में कार्यरत हैं और जिनकी पहचान पुख्ता हो, वहां, ग्रुप से जुड़ने की अनुमति है। सूत्रों के मुताबिक, इस पॉलिसी का उद्देश्य न केवल सेंसिटिव इन्फॉर्मेशन बल्कि सेना के जवानों को भी सुरक्षित रखना है। आर्मी की मौजूदा सोशल मीडिया पॉलिसी सेवारत कर्मियों को केवल सेवारत अधिकारी ग्रुप का हिस्सा बनने की अनुमति देती है। इस ग्रुप में पूर्व कर्मचारी भी शामिल नहीं हो सकते।
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