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जरूरत की खबर: भारत में अनसेफ अबॉर्शन से हर रोज 8 महिलाओं की मौत होती है, इन चीजों का रखे ख्याल ताकि इसकी नौबत ही न आए

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एक घंटा पहले

भारत में हर रोज अबॉर्शन (गर्भपात) की वजह से करीब 8 महिलाओं की मौत हो जाती है। वहीं, 67% गर्भपात में जान का जोखिम बना रहता है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की विश्व जनसंख्या रिपोर्ट 2022 में यह बात सामने आई है।

क्या कहती है विश्व जनसंख्या रिपोर्ट 2022
2007-2011 के बीच के आंकड़ों के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है। 30 मार्च को जारी की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा और इनकम का लेवल बढ़ने से लोग जागरूक होते हैं और बिना सोचे-समझे प्रेग्नेंट नहीं होते हैं।

दो बातें सामने आई दुनियाभर में

  • हर साल 12 करोड़ 10 लाख औरतें बिना प्लान के प्रेग्नेंट होती हैं। एक दिन में ये एवरेज 3 लाख 31 हजार महिलाएं प्रेग्नेंट होती हैं।
  • बिना प्लान के 6 महिलाएं प्रेग्नेंट होती हैं और इसमें से एक भारत में।

इस रिपोर्ट से निकलकर देश में अबॉर्शन की सच्चाई तलाशते हैं
आज भी ऐसे कई लोग हैं जो बिना जांच-पड़ताल किए,कहीं भी अबॉर्शन करवा लेते हैं। वे अपने घर की महिलाओं के स्वास्थ्य के बारे में भी नहीं सोचते हैं। लड़कियां बगैर शादी के प्रेग्नेंट हो जाती है और घरवालों के डर बिना सोचे-समझे अबॉर्शन करवा लेती हैं।

ऐसे में अबॉर्शन करवाने की नौबत आए ही नहीं, इसके लिए क्या करना चाहिए?

  • प्रोटेक्शन के साथ ही सेक्स करें।
  • कंडोम का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • अगर फैमिली पूरी हो गई है तो पुरुष या महिला अपनी नसबंदी करा सकते हैं।
  • स्कूल में सेक्स एजुकेशन को शामिल किया जाए, ताकि अनसेफ अबॉर्शन से बचा जा सके।
  • कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स (गर्भनिरोधक गोलियां) का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पर ही करें।

10 फीसदी पुरुष करते हैं कंडोम यूज, नसबंदी से उन्हें लगता है डर
देश में 10 में सिर्फ एक ही पुरुष कंडोम का इस्तेमाल करते हैं। पुरुषों को नसबंदी के नाम पर शारीरिक कमजोरी, नामर्द होने और ताउम्र के लिए बोझ न उठा पाने या फिर किसी बीमारी की चपेट में आने का खौफ सताने लगता है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS) के मुताबिक, फैमिली प्लानिंग करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ी है। 10 में से 4 महिलाएं अनवांटेड प्रेग्नेंसी से बचने के लिए नसबंदी करवाती हैं, जबकि नसबंदी कराने वाले पुरुषों की संख्या न के बराबर है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में टीनएज प्रेग्नेंसी के केस में 1 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसके बावजूद इस पर और काम करने की जरूरत है। अभी 15 से 19 साल की उम्र की 1000 लड़कियों में से 43 मां बन रही हैं। ऐसे में इन्हें अवेयर करने के लिए डिटेल में कुछ सवालों का जवाब दे रहे हैं।

कुछ रिसर्च में यह बात सामने आई है कि लोग कंडोम के बजाय अबॉर्शन पिल्स का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, कंडोम के इस्तेमाल से भी प्रेग्नेंसी में कमी आ सकती है और अबॉर्शन की नौबत ही नहीं आएगी। इससे महिलाएं सुरक्षित हो सकती हैं।

सवाल: अबॉर्शन का मतलब क्या है?
जवाब:
आसान भाषा में अबॉर्शन यानी गर्भपात यूटेरस से फीटस हटाने का एक प्रोसेस है। एक बच्चा मां के गर्भ में 37 हफ्ते तक रहता है। अगर 24 सप्ताह की गर्भावस्था से पहले बच्चे की जान (फीटस) चली जाती है तो उसे गर्भपात यानी अबॉर्शन कहते हैं।

सवाल: अबॉर्शन करवाने की जरूरत कब पड़ती है?
जवाब:
कई बार यह नेचुरल होता है यानी किसी घटना में बच्चे की मौत हो जाती है। जैसे- मां का पैर फिसल जाना या किसी गलत दवाई खा लेना। तब पेट से बच्चे को निकालने के लिए अबॉर्शन किया जाता है। वहीं, कुछ केस में जब एक मां गर्भ में पहल रहे बच्चे को जन्म देना नहीं चाहती तो उसे अबॉर्शन के लिए दवाई या दूसरे उपाय अपनाती है।

सवाल: अबॉर्शन कितने तरीके के होते हैं?
जवाब:
सही तरीका यह है कि आप डॉक्टर की निगरानी में अबॉर्शन करवाएं। अल्ट्रासाउंड करने के बाद डॉक्टर यह फैसला लेता है कि अबॉर्शन करना चाहिए कि नहीं।

दो तरीके से होते हैं-

मेडिकल अबॉर्शन: इसमें दवाई देकर गर्भपात करवाया जाता है। दवाई से गर्भाशय की लाइनिंग खत्म हो जाती है। इससे भ्रूण (एम्ब्रियो) गर्भाशय से अलग होकर नष्ट हो जाता है।
सर्जिकल अबॉर्शन: इसमें डी एंड सी (डाइलेशन और क्यूरेटेज) की जाती है। यानी ऑपरेशन कर भ्रूण को गर्भाशय से अलग किया जाता है। आप प्रेग्नेंसी के कितने महीने के अंदर ये ऑपरेशन कर सकते हैं ये बात डॉक्टर आपकी जांच के बाद ही बता सकते हैं।

सवाल: क्या प्रग्नेंसी के दौरान कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स (गर्भनिरोधक गोलियां) कभी भी खाई जा सकती हैं?
जवाब:
नहीं, गोली खाने का समय फिक्स होता है। जैसे- प्रेग्नेंसी के 10 सप्ताह के अंदर। कुछ गोलियां डॉक्टर देते हैं। उन्हें प्रेग्नेंसी के 24 सप्ताह के अंदर खाई जा सकती हैं।

सवाल: अबॉर्शन को लेकर क्या कानून है?
जवाब:
इसे लेकर देश में पहली बार कानून 1971 में बना था। इस कानून को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट– 1971 कहते हैं। इसके आधार पर सिर्फ और सिर्फ सर्टिफाइड डॉक्टर ही अबॉर्शन कर सकते हैं। इसे किसी अनट्रेंड लोगों से करवाना जुर्म है।

सवाल: अबॉर्शन कब करवाया जा सकता है, कानून में इसकी कंडिशंस क्या तय की गई थीं?
जवाब:
इन 5 सिच्यूएशन में अबॉर्शन करवाया जा सकता था

  • अबॉर्शन न होने की वजह से अगर महिला की मेंटली और फिजिकली इंजरी हो।
  • अगर महिला मानसिक तौर पर कमजोर है, या फिर वह पहले से किसी मेंटल और फिजिकल बीमारी से जूझ रही है।
  • अगर महिला या उसकी फैमिली में, यह बीमारी बच्चे में भी आ सकती है जो उसके लिए खतरनाक हो सकती है।
  • प्रेग्नेंट महिला बच्चे को पालने में सक्षम नहीं है। उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है।
  • रेप यानी बलात्कार की वजह से अगर कोई महिला प्रेग्नेंट हो गई है।

इन बातों को जानने के बाद अब आप समझ गए होंगे कि अबॉर्शन कभी भी नहीं करवा सकते हैं आप। ऐसा नहीं होता कि प्रेग्नेंसी की किसी भी स्टेज में आपने सोचा कि बच्चा नहीं चाहिए तो अबॉर्शन करवा लिया।

मार्च 2021 में टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट में बदलाव किया गया।

जानते हैं कि इसके नए कानून में क्या था?

  • पहले केवल 20 हफ्ते की प्रेग्नेंसी तक ही आप अबॉर्शन हो सकता था। इस समय को बढ़ाकर 24 हफ्ता कर दिया गया। लेकिन यह चार हफ्ता का रिलैक्सेशन स्पेशल केस में ही दिया जाएगा।

स्पेशल केस का मतलब यह कि

  • अगर कोई महिला रेप की वजह से प्रेग्नेंट हो गई है।
  • प्रेग्नेंट महिला का मैरिटल स्टेटस बदल गया हो।
  • कोई नाबालिग प्रेग्नेंट हो गई हो।
  • पहले 12 से 20 हफ्ते तक की प्रेग्नेंसी को टर्मिनेट करने के लिए दो रजिस्टर्ड डॉक्टरों से राय लेना जरूरी था। नए कानून में अब 20 हफ्ते तक की प्रेग्नेंसी टर्मिनेट करने के लिए केवल एक डॉक्टर की सहमति काफी होगी। 20 से 24 हफ्ते तक की प्रेग्नेंसी को टर्मिनेट करने के लिए दो डॉक्टरों की सहमति चाहिए।
  • पहले केवल मैरिड वुमन और पति ही इजाजत से प्रेग्नेंसी टर्मिनेट किया जाता था। नए कानून के तहत किसी भी महिला और उसके साथी’ को गर्भपात कराने के लिए सहमति देने का अधिकार है। इसमें महिला अनमैरिड भी हो सकती है।
  • अगर डॉक्टर और मेडिकल बोर्ड ने यह फैसला ले लिया कि पेट में पल रहा बच्चा डिसेबल है तो इस आधार पर अबॉर्शन की परमिशन मिलती है। इस तरह के अबॉर्शन के लिए कोई तय समय सीमा नहीं होती। इसे हर राज्य अपने हिसाब से लागू कर सकता है।
  • जिस महिला का अबॉर्शन हो रहा है या हुआ है उसकी जानकारी गोपनीय रखी जाएगी।

सवाल: कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स (गर्भनिरोधक गोलियां) खाना कितना सही कितना गलत
जवाब:
अबॉर्शन की गोलियां खाने से पहले डॉक्टर से जरूर मिल लें। गोलियां खाने के 2 हफ्ते बाद पूरा चेकअप करवाएं। अगर आपको हार्ट, डायबिटीज, अस्थमा, एनीमिया जैसी बीमारी है तो ये अपनी मर्जी से बिल्कुल भी गोलियां न लें।

सवाल: बिना डॉक्टर की पर्ची देखे क्या दुकानदार ये दवाएं बेच सकते है?
जवाब:
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के अनुसार, अबॉर्शन की गोलियों को डॉक्टर के लिखे पर्चे के बिना बेचना जुर्म है। बेचने से पहले पर्चे की फोटो, बिल का रिकॉर्ड रखना जरूरी है।

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