मुंबई7 मिनट पहलेलेखक: उमेश कुमार उपाध्याय
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अभिमन्यु दसानी और सान्या मल्होत्रा इन दिनों अपनी फिल्म ‘मीनाक्षी सुंदरेश्वर’ को लेकर चर्चा में हैं। धर्मा प्रोडक्शन के तहत बनी ‘मीनाक्षी सुंदरेश्वर’ में सान्या मीनाक्षी और अभिमन्यु सुंदरेश्वर लीड रोल में हैं। विवेक सोनी निर्देशित इस फिल्म से जुड़ी जानकारी के बारे में स्टार अभिमन्यु दसानी और सान्या मल्होत्रा सहित डायरेक्टर ने दैनिक भास्कर से कई बातें शेयर की हैं।
फिल्म में आप दोनों का किरदार कैसा है?
अभिमन्यु दसानी (सुंदरेश्वर): सुंदर एक सुंदर और सुशील लड़का है, स्वीट-सा बंद है, वह अपने पैरों पर खड़ा होना चाहता है, पर सेम टाइम अपनी फैमिली को डिसप्वाइंट नहीं करना चाहता है, हार्डवर्किंग है, पैशनेट है। इनोसेंट है, पर उसके अंदर जो फीलिंग्स है, उससे कनेक्ट नहीं कर पाता है। वह साफ्ट वेयर इंजीनियर है।
सान्या मल्होत्रा (मीनाक्षी): मीनाक्षी बहुत कांफिडेंट लड़की है। वह बहुत क्लीयर है कि उसे क्या चाहिए और क्या नहीं चाहिए। फिर तो वह जॉब में हो या पर्सनल लाइफ में हो। उसको यही बात सुंदर की भी बहुत पसंद आती है कि वह दूसरों से एकदम अलग है। एक साथ चलकर कुछ करना आगे बढ़ना उसका लक्ष्य है, जो मुझे बहुत अच्छा लगता है। इस कैरेक्टर को बहुत ही खूबसूरती से लेखक-निर्देशक विवेक सोनी ने लिखा है। यह कैरेक्टर बड़े लफिंग दिखाई देंगे और दोनों का रिलेशनलशिप बहुत अच्छा लगेगा।
फिल्म में शादी का सीक्वेंस है। शादी से पहले लड़के-लड़कियां फिटनेस को लेकर काफी ध्यान देते हैं, आप दोनों ने क्या खास किया और क्या चुनौतियां रहीं?
अभिमन्यु: फॉर्चुनेटली, फिल्म के हम तीनों कैरेक्टर काफी फिट हैं। इसके अलावा हम नॉर्मल रूटीन फॉलो कर रहे थे। फिटनेस की तैयारी पहले से चलते आ रही है और आगे भी चलती रहेगी।
सान्या:हमने भी वर्कआउट किया था। शादी से पहले लड़के-लड़की काफी ध्यान देते हैं और शादी के बाद भी देना चाहिए। फिटनेस को लाइफ का हिस्सा है। आप जीवन में कुछ भी कर रहे हो, पर फिटनेस पर फोकस रहना ही चाहिए। अपने सेहत को अच्छा बनाए रखने के लिए कुछ भी करना चाहिए। हमने किरदार के लिए काफी ट्रैक भी किया। ट्रैक में हमने एक साथ काफी रीडिंग की और एक-दूसरे के साथ रिफरेंस भी शेयर किए। मेरे सुपर स्टार रजनीकांत हैं, तब उस पर भी थोड़ा रिसर्च किया। इस कैरेक्टर के लिए डायरेक्टर ने मेरी बड़ी हेल्प की।
क्या आप दोनों लुंगी और साड़ी पहले से पहनना जानते थे या फिर फिल्म के दौरान सीखा?
अभिमन्यु: मुझे लुंगी पहनना नहीं आता था। मैंने तो फिल्म के दौरान ही लुंगी पहना सीखा।
सान्या: मैं साड़ी पहनना पहले से जानती थी। लेकिन अब और अच्छे से आने लगा, क्योंकि मीनाक्षी सुंदरेश्वर के टाइम बहुत बार साड़ी पहन चुकी हूं, सो अच्छी-खासी प्रैक्टिस हो चुकी है।
ट्रेलर में देखा कि शादी का कॉस्ट्यूम काफी अच्छा लगता है, इसे कहां और कितने दिनों में बनवायी गई, खासकर शादी के जोड़े की कीमत क्या रही होगी?
अभिमन्यु: हम जब कैरेक्टर के कपड़े पहन लेते हैं और मेकअप करके कैरेक्टर के अवतार में आ जाते हैं, तब काफी कुछ वही बयां कर देता है। जैसे कि कैरेक्टर क्या सोच रहा होगा, कैसे खड़ा होगा, कैसे बैठेगा, उसका इमोशन, उसका प्यार, उसकी तन्हाई कैसे बाहर आएगी। अगर फिल्म में सान्या कम, मीनाक्षी ज्यादा, अभिमन्यु कम और सुंदरेश्वर ज्यादा नजर आते हैं, तब इसका श्रेय हेयर, मेकअप आर्टिस्ट, कॉस्टयूम डिजाइनर को जाता है।
सान्या: हमारी बहुत अच्छी कॉस्ट्यूम डिजाइनर वीरा कपूर और हेयर मेकअप नताशा की रही हैं। मुझे लगता है कि एक्टर के लिए बहुत इंपोर्टेंट होता है, क्योंकि मैं मानती हूं कि जैसे कैरेक्टर के कपड़ों और हेयर मेकअप में आ जाते हैं, वह शूट में काफी हेल्प करता है। इसका पूरा क्रेडिट वीरा और नताशा को जाता है। मीनाक्षी के कैरेक्टर में घुसने के लिए मुझे काफी हेल्प किया। मैंने शादी के समय जो साड़ी पहनी है, वह पता नहीं कितनी महंगी है। इसकी कीमत वीरा ही बता पाएंगी, लेकिन बहुत ही सुंदर कॉस्ट्यूम था। इसे पहनने के लिए मैं हर दिन एक्साइटेड रहती थी। मीनाक्षी के गेटअप में आना ही बहुत अच्छा लगता था। यहां तक कि शूट खत्म हो गया, तब भी मुझे अपना कॉस्ट्यूम और हेयर मेकअप बहुत याद आता था।
फिल्म में देखा कि सान्या रजनीकांत की फैन हैं, आप दोनों किस हीरो-हीरोइन के फैन हैं?
अभिमन्यु: रणबीर कपूर
सान्या: तब्बू
रोम-कॉम जोनर की फिल्म में एक-दूसरे की कौन-सी बातें हैं, जिसने कंफर्टेबल बना दिया?
अभिमन्यु: सान्या जितनी अच्छी एक्टर हैं, उतनी अच्छी को-स्टार भी हैं। जब को-स्टार अच्छा हो, तब कठिन चीजें भी सरल हो जाती हैं। इसका श्रेय सान्या को जाता है।
सान्या:यह रोमांटिक-कॉमेडी है। कैरेक्टर और स्टोरी, दोनों बहुत ही रिलेटेबल है। मुझे लगता है कि ऑडियंस फिल्म देखेगी, तब वह खुद मीनाक्षी और सुंदरेश्वर से और उनके रिलेशनशिप से एकदम रिलेट कर पाएगी। आई थिंक, बतौर एक्टर हमारे लिए भी बहुत रिलेटबल था। हमने भी अपनी लाइफ में इन चीजों को एक्सप्रीरियंस किया है। चाहे वह रिलेशनशिप हो या रिलेशनलशिप में डिस्टेंस हो और यही इसकी खूबसूरती भी है।
विवेक सोनी (डायरेक्टर): सच कहूं तो दोनों बहुत ही सहज और सरल थे, इसलिए शूट करने में किसी भी सीन को लेकर कहीं कोई कठिनाई नहीं आई। एक बार दोनों ने कहानी पढ़ ली, तब सीन के हिसाब से उन्हें अंदाजा लग गया था कि सीन किस हिसाब से लेआउट हो रहे हैं। अभिमन्यु और सान्या, दोनों कमिटेड एक्टर्स हैं। जब दोनों ने सीन को अच्छे से पढ़ लिया और दोनों ऑन बोर्ड आए, तब उसके बाद जो भी डिसकशन होता था, वह इस संदर्भ में होता था कि सीन को कैसे अलग स्तर पर लेकर जाएं। इसे और अच्छे से कैसे रिमूव किया जाए, जिससे वह और रिलेटेबल बन सके। हमने अपने जीवन में जो भी देखे हों, उनको सीन में पिरोया जाए, ताकि और खूबसूरत बन जाए। हमारी चर्चा भी इसी संदर्भ में होती थी। स्क्रिप्ट में जो लिखा गया था, उससे कुछ अलग शूट नहीं किया गया।
थिएटर में फिल्म रिलीज होने का एक सपना होता है। लेकिन यह फिल्म ओटीटी पर आ रही है, क्या कहेंगे?
सान्या: बहुत खुश हूं कि लूडो, पगलैट के बाद मीनाक्षी सुंदरेश्वर को भी नेटफिलिक्स जैसा प्लेटफॉर्म मिला। क्योंकि लूडो और पगलैट, दोनों फिल्मों को दर्शकों का बहुत सारा प्यार मिला और बहुत सारी सक्सेस मिली। मैंने मीनाक्षी सुंदरेश्वर भी देखी है, इसे देखने वालों को बहुत अच्छी लगेगी। हमने जितने प्यार से यह फिल्म बनाई है, वही प्यार ऑडियंस से हमें वापस मिलने वाला है।
विवेक: ऑफ कोर्स, सपना होता है। लेकिन जिस तरह से यह फिल्म बन पाई है, उसके लिए धर्मा और नेटफिलिक्स को धन्यवाद कहूंगा। इतने हाइएस्ट में बनी, वह भी अपने आपमें एक अलग अचीवमेंट है। मैं बहुत खुश हूं। मुझे इस चीज को लेकर जरा भी रंज नहीं है कि यह फिल्म थिएटर में नहीं जाकर ओटीटी पर आ रही है।
करण जौहर ने अच्छी रोमांटिक फिल्में डायरेक्ट की हैं। क्या उन्होंने कुछ इनपुट दिया?
विवेक: उन्होंने जब नरेशन सुना था, तब उन्हें स्क्रिप्ट बहुत अच्छी लगी। कहानी जिस हिसाब से लिखी गई थी, उसको लेकर बहुत सराहा था। उनके थोड़े-बहुत सजेशन थे, जिसे हमने शामिल भी किया है। वे फिल्म के प्रोड्यूसर हैं, सो हर स्टेज पर उनका गाइडेंस मिलता रहा। वे इतने सीनियर हैं, सो बेहतरीन सुझाव भी दिए। हम उनका गाइडेंस लेने के लिए चर्चा जरूर करते थे। उनके जो भी सजेशन मिले, उससे कहानी और बेहतर निकलकर आई है।
क्या धर्मा प्रोडक्शन के साथ एक ही फिल्म का कॉन्ट्रेक्ट साइन किया है?
विवेक: हां, इस फिल्म का एक्सप्रीरियंस बहुत अच्छा रहा है। आगे भी हम साथ में बहुत काम करेंगे, अच्छी और बेहतर फिल्में लेकर आएंगे।
इसे कितने दिनों में शूट किया और कहां-कहां शूटिंग हुई?
विवेक: इसे कुछ 45 दिनों में शूट किया। इसकी शूटिंग मदुरैई, तमिलनाडु में हुई है, जहां पर कहानी आधारित है। इसके अलावा कुछ पोर्शन बंग्लौर में शूट किया गया।
पहली फिल्म होने के नाते इसके निर्माण में किस तरह की चुनौतियां रहीं?
विवेक: जब आउटडोर और डिफरेंट स्टेट में शूट कर रहे हैं, तब हर दिन कुछ न कुछ चुनौती रहती है। लेकिन कुछ ऐसी परफेस्टिव चुनौती नहीं थी। छोटी-मोटी कठिनाइयां तो आती रहती हैं, पर सब कुछ अच्छे से हैंडिल हो गया। हमारे एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर आनंद ने सब कुछ अच्छे से हैंडिल किया। सभी बड़े सपोर्टिव थे। सबकी यही मंशा थी कि हम जो भी चीज करें, उसे कैसे और बेहतर बनाया जा सकता है। सबकी एनर्जी यहीं पर फोकस रहती थी। इसके काम आसान हो गया और अच्छे से निखरकर आया।
दीपावली से कोई यादगार बात बताइए?
अभिमन्यु: मेरा सबसे पसंदीदा फेस्टिवल दीवाली है। मुझे लगता है कि दीवाली में जो कैलोरी खाते हैं, वह काउंट नहीं होती है। दोस्तों और परिवार के साथ वक्त बिताना और स्वादिष्ट भोजन करना अच्छा लगता है।
सान्या: अब मैं मुंबई में रहने लगी हूं और मेरी फैमिली दिल्ली में रहती है। मेरी कोशिश रहती है कि हर दीवाली पर घर जाऊं और घरवालों के साथ दीपावली मनाऊं। घर को रंगोली और केंडिल से सजाऊं और अच्छा-अच्छा खाना खाऊं। यह सब करना बहुत स्पेशल लगता है।
विवेक: दीपावली बहुत खूबसूरत पर्व है। मुझे बचपन याद आता है, जब अगरबत्ती से जलाकर पटाखे फोड़ता था। लेफ्ट हाथ में अगरबत्ती होती थी और राइट हाथ में पटाखा होता था। जलाकर उसे फेंक देता था। एक बार गलती से मैंने राइट हाथ में अगरबत्ती और लेफ्ट हाथ में पटाखा ले रखा था। मैंने पटाखा जलाकर अगरबत्ती फेंक दी और पटाखा मेरे हाथ में रह गया। फिर तो पटाखा फूटा और मेरा हाथ जल गया। यह वाकया मुझे अक्सर याद आता है। लोगों से यही कहूंगा कि ऐसा कुछ न करें, सावधानी से दीप पर्व मनाएं।