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बच्चों की वैक्सीन का इंतजार: कोरोना का हर 20वां मरीज 10 साल का बच्चा, कुल मरीजों में 10% हिस्सा 11 से 19 साल वालों का, आखिर कैसे रहें सुरक्षित?

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16 घंटे पहले

पूरी दुनिया कोरोना के ज्यादा आक्रामक दूसरे दौर का सामना रही है। इस बार ज्यादा चिंता की बात यह है कि बच्चे भी भारी संख्या में वायरस की चपेट में आ रहे हैं। दुनिया भर में उनके लिए भी वैक्सीन की जरूरत महसूस की जा रही है।

कोरोना की पहली लहर से तो बच्चे बच गए। माना गया कि उनकी इम्यूनिटी अच्छी है इसलिए उनको खतरा कम है, लेकिन दूसरी लहर के आते-आते ये राय पलट गई। अब आंकड़े हैरान करने वाले हैं। बच्चे कोरोना की चपेट में आ रहे हैं। हर 20वां मरीज दस साल से छोटा बच्चा है।

नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के मुताबिक कोरोना के कुल मरीजों में से 4.42 फीसदी मरीज 10 साल से कम वाले हैं यानी बच्चे हैं। 11 साल के बच्चे से लेकर 20 साल के युवकों का कोरोना बीमारों में हिस्सा 9.79 फीसदी है। एक्सपर्ट बताते हैं कि बच्चे पहले एसिम्टोमैटिक थे, लेकिन उनमें कई लक्षण दिख रहे हैं। जैसे- नाक बंद, पेट दर्द, दस्त, गले में दर्द, थकान और सिरदर्द। बच्चों की वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं, उन सभी सवालों के जवाब हम आपको दे रहे हैं…।

बच्चों को कब तक वैक्सीन लगने की उम्मीद है?

बच्चों की वैक्सीन कब आएगी, यह तो अभी निश्चित नहीं है। फिलहाल फाइजर एंड बायोटेक ने 16 साल या उससे ज्यादा उम्र वाले बच्चों के लिए वैक्सीन अप्रूव कर दी है, लेकिन इससे कम उम्र वाले बच्चों के लिए अब तक कोई वैक्सीन अप्रूव नहीं हुई है।

यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन स्कूल ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ में वैक्सीन प्रोग्राम को करीब से देखने वाले डॉ. जेम्स कॉन्वे कहते हैं कि 12 से 15 साल तक के बच्चों के लिए वैक्सीन इस गर्मी में आने की उम्मीद है। 5 से 11 साल तक के बच्चों के लिए 2021 के आखिर तक वैक्सीन आने की उम्मीद है और 6 महीने से 4 साल तक के बच्चों के लिए 2022 की शुरुआत में वैक्सीन आ सकती है।

घर में बच्चे हैं, क्या फिर भी वैक्सीन लगवा चुके दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ गेट-टू-गेदर कर सकते हैं?

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक जिन लोगों को वैक्सीन के दोनों डोज लगवाए हुए 2 हफ्ते से ज्यादा हो चुके हैं वो अपने घर में एक छोटे ग्रुप के साथ गेट-टू-गेदर कर सकते हैं। लेकिन इसमें केवल वही 10 लोग शामिल हो सकते हैं जिन्हें वैक्सीन लग चुकी हो।

अगर हर कोई वैक्सीनेटेड है तो मास्क लगाना इतना जरूरी नहीं है। बच्चों को इस गेट-टू-गेदर से किसी भी तरह का खतरा होने की गुंजाइश काफी कम है।

जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है, उनके साथ गेट-टू-गेदर कर सकते हैं?

  • डॉ. मैकब्राइड का कहना है कि जिन लोगों को वैक्सीन नहीं लगी है, उनके साथ अगर आप अपने घर में गेट-टू-गेदर रखते हैं तो यह बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है। अगर बिना मास्क के ये लोग आपके बच्चों के करीब आ गए तो उन्हें संक्रमण का खतरा है।
  • नॉर्थवेस्टर्न मेडिसिन की पीडियाट्रिशियन डॉ. निया हर्ड-गैरिस का कहना है कि इस संक्रमण के चलते बच्चों की मेंटल हेल्थ पर काफी ज्यादा असर हो रहा है। बच्चों में अकेलापन, डिप्रेशन, एंग्जाइटी जैसी कई समस्याएं देखने को मिल रही हैं। इसलिए जरूरी है कि पैरेंट्स इन बातों का भी ध्यान रखें कि बच्चे अकेलापन महसूस न करें।
  • डॉ. जोन्स का कहना है कि लोग सावधानी रखते हुए अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ घर के बाहर एक प्ले डेट रख सकते हैं। आप घर के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए, मास्क और सैनिटाइजर के साथ गेट-टू-गेदर रख सकते हैं। जब तक बच्चों के लिए वैक्सीन नहीं आती, तब तक घर के अंदर बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के ऐसा गेट-टू-गेदर रखना सुरक्षित नहीं है।

बच्चों के साथ ट्रैवल करना सुरक्षित है?

  • कैटलिन रिवर्स जॉन्स हॉपकिंस सेंटर फॉर हेल्थ सिक्योरिटी के महामारी विशेषज्ञ का कहना है कि बच्चों के साथ ट्रैवल करते वक्त सबसे ज्यादा सावधानी रखने की जरूरत है। पहले आप जिस जगह जा रहे हैं, वहां के लोकल हेल्थ डिपार्टमेंट से इस बात की जानकारी लें कि वहां किसी भी तरह की कोई पाबंदी तो नहीं है। जिस जगह पर आपको रुकना है वह सुरक्षित है या नहीं।
  • अगर बच्चे को किसी भी तरह की हेल्थ प्रॉब्लम है तो उसके डॉक्टर से इस बारे में सलाह लें। सबसे जरूरी बात है कि बच्चों को ले जाने के 2 दिन पहले उनका कोविड टेस्ट कराएं और लौटकर आने के 5 दिन बाद भी। साथ ही उन्हें सात दिन के लिए क्वारैंटाइन भी करें।

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