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अप्रैल में भी घट सकता है प्रॉडक्शन: फैक्ट्रियों के उत्पादन में बढ़ोतरी की दर 7 महीनों में सबसे कम, लॉकडाउन बढ़ने से मार्च में 55.4 पर आया PMI, फरवरी में 57.5 रहा था

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  • March Factory Production Lowest In 7 Months, Last Month PMI Was At 57.5 After Being At 55.4 In February

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6 मिनट पहले

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  • IHS मार्किट का पर्चेजिंग मैनेजर इंडेक्स मार्च में घटकर 55.4 रह गया जो फरवरी में 57.5 के लेवल पर था
  • PMI के 50 से ऊपर रहने का मतलब प्रॉडक्शन में बढ़ोतरी होता है, 50 से नीचे रहना कमी आने की निशानी
  • FY21 के अंतिम महीने में कंपनियों को मिलने वाले ऑर्डर और प्रॉडक्शन में बढ़ोतरी की दर फरवरी से कम रही

पिछले महीने फैक्टरियों के प्रॉडक्शन में बढ़ोतरी की दर पिछले सात महीनों में सबसे कम रही है। इसका पता IHS मार्किट के PMI (पर्चेजिंग मैनेजर इंडेक्स) से चलता है जो फरवरी के 57.5 से घटकर मार्च में घटकर 55.4 रह गया।

प्रॉडक्शन में बढ़ोतरी की दर घटने की वजह दूसरी लहर

प्रॉडक्शन में बढ़ोतरी की दर घटने की वजह कोरोनावायरस संक्रमण की दूसरी लहर के बीच देश में जगह-जगह लग रहा लॉकडाउन है। PMI के 50 से ऊपर रहने का मतलब यह होता है कि प्रॉडक्शन बढ़ रहा है। लेकिन इसका 50 से नीचे जाना उसमें कमी आने की निशानी होता है।

अप्रैल में भी मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां और घटने के आसार

वित्त वर्ष 2021 के अंतिम महीने में कंपनियों को मिलने वाले ऑर्डर और प्रॉडक्शन में बढ़ोतरी की दर फरवरी से कम रही। कोविड के बढ़ते संक्रमण पर लगाम लगाने के लिए राज्यों के सख्ती बढ़ाने से अप्रैल में भी मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां और घटने के आसार बने हैं।

धीमी रही इनपुट और आउटपुट कॉस्ट में बढ़ोतरी की रफ्तार

पिछले हफ्ते केंद्र सरकार की बैठक में कोरोनावायरस संक्रमण पर लगाम लगाने के लिए उनको (राज्यों को) सख्त कदम उठाने की सलाह दी गई थी। इस बीच, मार्च में कंपनियों की इनपुट और आउटपुट कॉस्ट में बढ़ोतरी की रफ्तार भी धीमी रही थी। इसके अलावा फरवरी में महंगाई दर में नरमी रही और यह RBI के 2-6 फीसदी टारगेट के भीतर रही।

कोविड संक्रमण के मामले बढ़ने से मांग में बढ़ोतरी की दर कम

IHS मार्किट की इकोनॉमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पॉलियाना डे लीमा ने कहा, ‘2020 के अंतिम महीने में सुस्त रहा फैक्ट्रियों का प्रॉडक्शन शुरुआत में तेज हुआ लेकिन मार्च में फिर धीमा हो गया।’ इंडेक्स के लिए सर्वे में शामिल कंपनियों ने बताया कि कोविड संक्रमण के मामले बढ़ने से उनकी मांग में बढ़ोतरी की दर कम रही थी।

डिमांड बढ़ने और थोक में ऑर्डर मिलने से सेल्स को बढ़ावा मिला

इंडेक्स 12 से 25 मार्च के बीच लगभग 400 मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के पर्चेजिंग मैनेजर से जुटाए आंकड़ों के आधार पर तैयार किया गया है। उनके मुताबिक, हाल में डिमांड बढ़ने और थोक में ऑर्डर मिलने से उनकी सेल्स को बढ़ावा मिला है। सर्वे के मुताबिक, फैक्ट्रियों के उत्पादन में बढ़ोतरी की दर भले ही 7 महीनों में सबसे कम रही हो लेकिन उसमें लगातार आठवें महीने इजाफा हुआ है।

कंपनियों ने एहतियातन पिछले महीने ज्यादा कच्चा माल खरीदा

उन्होंने एहतियातन स्टॉक बढ़ाने और बढ़े प्रॉडक्शन के लिए पिछले महीने ज्यादा कच्चे माल की खरीदारी की। मार्च में उनकी तरफ से कच्चे माल की खरीदारी में बढ़ोतरी लॉन्ग टर्म एवरेज से ज्यादा रहा। हालांकि फरवरी में इनपुट बाइंग ग्रोथ लगभग एक दशक के सबसे ऊंचे लेवल के पास पहुंच गई थी। कंपनियों को मार्च में एक्सपोर्ट के लिए मिलने वाले ऑर्डर में लगातार सातवें महीने इजाफा हुआ।

केमिकल, मेटल, प्लास्टिक, रबर और टेक्सटाइल का दाम बढ़ा​​​​

IHS के मुताबिक, ‘हमेशा की तरह मार्च में भी कच्चे माल की खरीदारी में बढ़ोतरी की दर महंगाई ज्यादा होने की वजह से कम रही। पिछले महीने महंगाई दर पिछले तीन साल में दूसरी बार सबसे ऊपरी स्तर के पास पहुंची थी।’ सर्वे में शामिल कंपनियों के पर्चेजिंग मैनेजर ने केमिकल, मेटल, प्लास्टिक, रबर और टेक्सटाइल में महंगाई बढ़ने की बात कही है।

टीकाकरण से संक्रमण घटने और प्रॉडक्शन बढ़ने का अनुमान

पॉलियाना ने कहा, ‘कोविड के चलते कई राज्यों में लॉकडाउन होने और उससे जुड़ी सख्ती बढ़ने से अप्रैल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए चुनौती भरा रहने वाला है।’ टीकाकरण के चलते कोविड का संक्रमण घटने और आने वाले महीनों में प्रॉडक्शन बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसका मतलब कंपनियों का सेंटीमेंट पॉजिटिव बना हुआ है लेकिन कोविड के बढ़ते मामलों के चलते सात महीने के निचले लेवल पर आ गया है।

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