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लंदन36 मिनट पहले
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दक्षिण अफ्रीका में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन पर सवाल उठाए गए हैं। ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि यह वैक्सीन कोरोना के नए स्ट्रेन के खिलाफ ज्यादा प्रभावी नहीं है।
फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने कहा कि कोरोना के नए वैरिएंट के खिलाफ कारगर वैक्सीन बनाने में छह से नौ महीने का समय लग सकता है। गार्डियन के मुताबिक, वैक्सीन के अपडेटेड वर्जन के लिए 6 महीने का समय दिए जाने से वैक्सीन विकसित करने की मौजूदा प्रक्रिया में बड़ा और बेहतर बदलाव आएगा।
लंबे समय से इस पर चल रहा काम
एस्ट्राजेनेका में बायोफार्मास्यूटिकल्स आरएंडडी के कार्यकारी उपाध्यक्ष सर मेने पंगलोस ने बताया कि वैरिएंट पर काम आज शुरू नहीं हुआ। यह हफ्तों और महीनों पहले शुरू हुआ था। उन्होंने पुष्टि की कि वह नए वैरिएंट पर पूरी तरह से कारगर वैक्सीन के लिए लगातार काम कर रहे हैं।
नवंबर-दिसंबर तक पब्लिक को मिल सकती है
उन्होंने कहा कि वैक्सीन शरद ऋतु यानी नवंबर-दिसंबर तक जनता के लिए उपलब्ध हो सकती है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ संयुक्त रूप से विकसित कंपनी का टीका मूल वायरस और एक नए वैरिएंट के खिलाफ प्रभावी है, जो कि सबसे पहले ब्रिटेन के केंट इलाके में पाया गया था। हालांकि अलग-अलग देशों में वायरस के नए स्ट्रेन पर इसके असर पर सवाल उठते रहे हैं।
दक्षिण अफ्रीका में वैक्सीन पर उठाए सवाल
दक्षिण अफ्रीका में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन पर सवाल उठाए गए हैं। ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि यह वैक्सीन कोरोना के नए स्ट्रेन के खिलाफ ज्यादा प्रभावी नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया कि एक छोटे पैमाने पर टेस्ट के बाद निकाले गए प्रारंभिक निष्कर्ष हो सकते हैं, जिसमें मौजूदा वैरिएंट के खिलाफ भी वैक्सीन को प्रभावकारी बताया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया कि वैक्सीन स्पष्ट रूप से हल्की और मध्यम बीमारी के लिए इस वैरिएंट के खिलाफ काम नहीं करती है। दक्षिण अफ्रीका में नया वैरिएंट काफी तेजी से फैल रहा है।
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