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स्लीप गाइड: सात-आठ घंटे सोने के बाद भी थके हुए रहते हैं, तो यह नींद पूरी न होने का अलार्म है, ऐसे मॉनिटर करें अपना स्लीप टाइम

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9 घंटे पहले

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ज्यादातर लोगों को यह तो पता होता है कि उन्होंने पूरी नींद नहीं ली, लेकिन यह नहीं पता होता कि दरअसल उन्हें नींद लेनी कितनी चाहिए। अमेरिका की एक रिसर्च के मुताबिक में पता चला है कि यह व्यक्ति की उम्र पर निर्भर करता है। शराब, कॉफी और एनर्जी ड्रिंक जैसी चीजें आपके रूटीन को प्रभावित कर सकते हैं। अमेरिका के वर्जीनिया में स्थित आर्लिंगटन की चैरिटी नेशनल स्लीप फाउंडेशन का कहना है कि हर व्यक्ति की जीवनशैली उसकी नींद की जरूरत समझने का आधार होती है, लेकिन आपकी उम्र के हिसाब से कितनी नींद जरूरी है ये जानना बहुत जरूरी है…

  • नवजात (0-3 महीने)- नवजातों को हर दिन 14 से 17 घंटे की नींद लेनी चाहिए। हालांकि 11 से 13 घंटे की नींद भी उनके पर्याप्त है लेकिन 19 घंटे से ज्यादा नहीं सोने की सलाह दी जाती है।
  • शिशु (4-11 महीने)- शिशुओं के लिए 12 से 15 घंटे की नींद लेने की सलाह दी गई है। कम से कम 10 घंटे तो पर्याप्त है लेकिन इनकी नींद कभी भी 18 घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  • छोटा बच्चा (1-2 साल)- इनके लिए 11 से 14 घंटों की नींद की सलाह दी गई है लेकिन 9 से 16 घंटे तक की नींद इनके लिए चल सकती है।
  • स्कूल जाने से पहले की उम्र के बच्चे (3-5 साल)- एक्सपर्ट इनके लिए 10 से 13 घंटों की नींद की सलाह देते हैं। 8 घंटे से कम और 14 घंटे से ज्यादा की नींद इन बच्चों के लिए सही नहीं मानी जाती।
  • स्कूल जाने की उम्र के बच्चे (6-13 साल)- इन बच्चों के लिए नेशनल स्लीप फाउंडेशन (एनएसएफ) 9 से 11 घंटे नींद की सलाह देता है। इनके लिए 7 से कम और 11 से ज्यादा घंटे की नींद सही नहीं मानी जाती।
  • किशोरावस्था (14-17 साल)- इन्हें 8 से 10 घंटे की नींद की सलाह दी गई है लेकिन 7 से कम और 11 से ज्यादा घंटों की नींद को एनएसएफ सही नहीं मानता।
  • वयस्क (18-25 साल)- नौजवान वयस्कों के लिए 7-9 घंटों की सलाह दी गई है लेकिन ये 6 घंटे से कम और 11 घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  • अधेड़ (26-64 साल)- इनके लिए नौजवान व्यस्कों की तरह ही सलाह दी गई है।
  • बुजुर्ग (65 साल से ज्यादा)- इस उम्र के लोगों के लिए 7-8 घंटे की नींद की सलाह दी गई है, इन्हें 5 घंटे से कम और 9 घंटे से ज्यादा नहीं सोना चाहिए।

आपकी नींद पूरी हो रही है या नहीं इसे दो तरीके से समझें
अगर काम करते वक्त या फिर दिनभर खुद को थका हुआ महसूस करते हैं, सुबह उठने का दिल नहीं चाहता, शाम के समय नींद आती है या फिर लंबी-लंबी नैप लेते हैं तो इसका मतलब नींद पूरी नहीं होती है। रोजाना सात से आठ घंटे सोने के बाद भी थके हुए रहते हैं तो शायद आप गहरी नींद नहीं ले रहे हैं या फिर स्लीप डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं। ऐसे में आपको डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत है।

1. नींद को बेहतर समझने के लिए स्लीप डायरी बनाएं
अगर आपको लगता है कि पर्याप्त नींद नहीं ले रहे हैं, तो अपने नींद के पैटर्न को नोट करना शुरू कर दें। वैसे तो आजकल कई तरह के एक्टिविटी ट्रैकर्स मार्केट में आ गए हैं, जो आपकी दिनभर की हर एक्टिविटी, नींद हर चीज की निगरानी करते हैं। लेकिन अगर ये नहीं लेना चाहते तो नींद की एक डायरी भी बना सकते हैं।

यह डायरी न सिर्फ आपकी नींद से जुड़ी जरूरी बातें आपको बताएगी, बल्कि अगर आप स्लीप डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं तो यह आपके डॉक्टर के भी काफी काम आ सकती है।

2. अलार्म से कुछ दिनों की छुट्टी लें

अगर अपनी नींद की जरूरत को समझना चाहते हैं तो सबसे अच्छा तरीका है कि अलार्म से कुछ दिनों की छुट्टी लें। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप 2 हफ्ते के लिए किसी ऐसी जगह पर जाएं, जहां सुबह टाइम पर उठना जरूरी न हो। अगर आपका काम ऐसा है कि आपको समय का पाबंद होने की जरूरत नहीं है, तब आपको इसके लिए वेकेशन पर जाने की जरूरत नहीं है। लेकिन ऐसा है तो आपके लिए वेकेशन पर जाना जरूरी है।

जब बिना अलार्म के उठना शुरू करेंगे, तो शुरुआती दिनों में ज्यादा नींद लेंगे। इसलिए शुरुआती कुछ दिनों का डाटा आपके ज्यादा काम नहीं आएगा। कुछ दिनो बाद निर्धारित समय पर सोना और सुबह बिना अलार्म के उठना आपके रूटीन में आ जाएगा। तब यह समझ पाएंगी कि आपके लिए कितने घंटे की नींद जरूरी है।

स्लीप डायरी और अलार्म से छुट्टी लेने वाले दो स्टेप्स बताएंगे कि आप नींद पूरी न होने की समस्या से जूझ रहे हैं, या फिर स्लीप डिसऑर्डर से। अगर स्लीप डिसऑर्डर है तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

देर तक जागने और देर से उठने की आदत बदलें
कई लोगों का कहना है कि उन्हें रात में जल्दी नींद नहीं आती, जिसकी वजह से वो सुबह देर तक सोते हैं। इस आदत की वजह से पूरा दिन थकान रहती है।

आप सुबह उठने के लिए खुद से संघर्ष करते हैं तो एक्सपर्ट की यह सलाह आएगी काम

  1. तेज बजने वाला अलार्म लगाएं- रोज सुबह अलार्म बजने के बाद भी अगर आपकी नींद नहीं खुलती है, तो आपको अलार्म बदलने की जरूरत है। अगर आप अलार्म मोबाइल पर लगाते हैं, तो रिंगटोन बदलें और वॉल्यूम बढ़ा दें।
  2. बेडरूम तक सूरज की रोशनी आए- सुबह जल्दी उठने में सूरज की रोशनी मदद कर सकती है। अगर आपके बेड पर सूरज की रोशनी आती है तो ये न सिर्फ आपको जल्दी उठने में मदद करती है, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद होती है।
  3. रोज ब्रेकफास्ट करें- अगर आप रोज ब्रेकफास्ट करते हैं, तो शरीर को इसकी आदत हो जाती है। बिना ब्रेकफास्ट किए देर तक सोते रहे तो दिमाग को संदेश मिलता है कि भूख लगी है। जब भूख लगती है तो नींद खुल जाती है।
  4. वीकेंड पर भी अपना रूटीन न बिगाड़ें- अक्सर लोग वीकेंड पर अपने रूटीन को भुलाकर रात में देर तक जागते हैं और सुबह देर तक सोते हैं। फिर जब वापस से रूटीन में आने की कोशिश करते हैं तो यह मुश्किल हो जाता है। अगर आप सुबह 6 बजे का अलार्म लगाते हैं तो दिमाग को लगता है कि अभी चार ही बजे हैं। इसलिए रूटीन खराब न करें।

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