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सोने में निवेश: बाजार में जब भी अनिश्चितता का माहौल बनता है या जब महंगाई बढ़ती है तो सोना महंगा होने लगता है, अभी भी कुछ ऐसे ही हालात

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नई दिल्ली16 मिनट पहले

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कोरोना महामारी का प्रकोप एक बार फिर बढ़ने लगा है। ऐसे में कई विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले 2 से 3 महीने में सोना 48 हजार, वहीं इस साल के आखिर तक एक बार फिर 50 हजार तक जा सकता है। हालांकि मार्च की बात करें तो इस महीने सोना 44 से 45 हजार के बीच ही रहा है। बाजार में जब भी अनिश्चितता का माहौल बनता है या अच्छा मानसून होता है तो सोना महंगा होने लगता है। डॉलर की कीमत और बाजार में अस्थिरता या अनिश्चितता से भी सोने की कीमत पर असर पड़ता है। अभी भी कोरोना के कारण दुनियाभर में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।

बाजार में जब भी अस्थिरता होती है सोने के दाम बढ़ते हैं
अर्थशास्त्री डॉ. गणेश कावड़िया (स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स,देवी अहिल्या विवि इंदौर के पूर्व विभागाध्यक्ष) के अनुसार निवेशक हमेशा ज्यादा और सुरक्षित मुनाफा चाहते हैं और यह मुनाफ़ा उन्हें स्टॉक मार्केट, फ़िक्स्ड डिपॉज़िट, विभिन्न प्रकार के बॉन्ड या सोने में पैसा लगाने से मिलता है।

हालात जब सामान्य होते हैं तो यह मुनाफा स्टॉक मार्केट, बॉन्ड आदि से मिलता है लेकिन जब दुनिया की अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता की स्थिति बन जाती है तो निवेशक सोने में निवेश बढ़ा देते हैं। उनको लगता है कि सोने से उन्हें सुरक्षा मिलेगी और उसकी क़ीमत नहीं घटेगी। इसकी वजह से निवेशकों में सोने की मांग बढ़ गई है। आर्थिकमंदी और कोरोना महामारी के कारण इस तरह की स्थिती बनती है। ऐसे में सोने की कीमतों में बढ़ोतरी देख जाती है।

महंगाई बढंने पर भी सोना होता है महंगा
जब महंगार्इ बढ़ती है तो करेंसी की कीमत कम हो जाती है। उस समय लोग रुपए को सोने के रूप में रखते हैं। इस तरह महंगाई के लंबे समय तक ऊंचे स्तर पर बने रहने पर सोने का इस्तेमाल इसके असर को कम करने के लिए किया जाता है। इससे भी सोने की मांग बढ़ती है और ये महंगा होने लगता है। जनवरी 2021 में थोक महंगाई दर बढ़कर 2.03% पर पहुंच गई। दिसंबर 2020 में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित थोक महंगाई दर 1.22% थी। वहीं फरवरी 2021 में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) यानी खुदरा महंगाई दर बढ़कर 5.03% पर पहुंच गई है। जनवरी 2021 में यह 4.06% पर थी।

डॉलर के कमजोर होने पर सोना सस्ता होता है
भारत में हर साल 700-800 टन सोने की खपत है जिसमें से 1 टन का उत्पादन भारत में ही होता है और बाकी आयात किया जाता है। जब हम सोना आयात करते हैं तो इसकी कीमत हमें डॉलर में चुकानी होती है। इसीलिए जब डॉलर की तुलना में रुपया कमजोर होता है तो हमें इसे खरीदने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने होते हैं। इससे भी सोने की कीमत बढ़ती है। वहीं डॉलर के कमजोर होने पर सोने के दाम कम होते हैं। इसके अलावा सामान्य स्थिति में जब डॉलर कमजोर होता है तो सोना चढ़ता है। चूंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें डॉलर में होती हैं, इसलिए डॉलर में कमजोरी आने पर सोने के दाम मजबूत होते हैं।

शेयरों में गिरावट का भी होता है असर
जब शेयरों में तेज गिरावट आती है तो आमतौर पर सोने के दाम बढ़ते हैं। माना जाता है कि इस दौरान निवेशक शेयरों से पैसा निकालकर सोने में निवेश करते हैं। इससे भी सोने के दाम बढ़ने लगते हैं।

दुनिया में तनाव बढ़ने पर महंगा होने लगता है सोना
यह कई बार देखा गया है कि दुनिया में जब तनाव की स्थिति बढ़ती है तो सोने में निवेश मांग बढ़ जाती है। अमरीका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर चल रहा है। इस तरह की स्थिती भी सोने की कीमत को बढ़ने में मदद करती है।

अच्छे मानसून से सोने की कीमत में आती है मजबूती
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया कहते हैं कि हमारे देश में ग्रामीण इलाकों या छोटे शहरों मे सोने की खपत ज्यादा रहती है। यह खपत मुख्य रूप से मानसून पर निर्भर करती है। भारत में हर साल 700-800 टन सोने की खपत है। इस खपत में 60% हिस्सेदारी ग्रामीण भारत की है। अगर फसल अच्छी होती है, तो किसान अपनी आय से संपत्तियां बनाने के लिए सोना खरीदते हैं। वहीं अगर मानसून सही नहीं होता है तो सोने की मांग गिर जाती है।

इस साल सोना अब तक 11% नीचे आया
1 जनवरी को सोना 50,300 रुपए पर था। जो अब 44,655 रुपए पर आ गया है। यानी सोना इस साल अब तक 5,645 रुपए सस्ता हुआ है। हालांकि इस साल के आखिर तक सोने के 50 हजार तक पहुंचने की उम्मीद है। इस साल 5 मार्च को सोने का दाम प्रति 10 ग्राम 43,887 रुपए रहा है।

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