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सरकार ने कमाए 14 लाख करोड़: मनमोहन के राज में 110 डॉलर का कच्चा तेल 71 में था, मोदी के राज में 64 डॉलर का तेल 100 रुपए में बिक रहा

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नई दिल्ली11 मिनट पहले

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​​​​​​​भोलाभाला आदमी सोचता है कि क्रूड की कीमत घटेगी, तो पेट्रोल-डीजल भी सस्ता होगा, लेकिन आज की जमीनी हकीकत यह है कि क्रूड तो सस्ता है लेकिन पेट्रोल-डीजल का प्राइस उस स्तर पर जा पहुंचा है, जहां यह पहले कभी नहीं पहुंचा था - Dainik Bhaskar

​​​​​​​भोलाभाला आदमी सोचता है कि क्रूड की कीमत घटेगी, तो पेट्रोल-डीजल भी सस्ता होगा, लेकिन आज की जमीनी हकीकत यह है कि क्रूड तो सस्ता है लेकिन पेट्रोल-डीजल का प्राइस उस स्तर पर जा पहुंचा है, जहां यह पहले कभी नहीं पहुंचा था

  • क्रूड के मौजूदा प्राइस पर दिल्ली में पेट्रोल की कीमत करीब 42 रुपए प्रति लीटर होनी चाहिए
  • देश में पेट्रोल करीब 91 रुपए और डीजल करीब 85 रुपए प्रति लीटर के प्राइस पर बिक रहा है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों का ठीकरा पुरानी सरकार पर फोड़ा है। हालांकि हकीकत यह है कि मनमोहन सिंह की सरकार 110 डॉलर प्रति बैरल पर कच्चे तेल खरीदती थी। तब वह भारत में 71 रुपए लीटर बेचती थी। मोदी सरकार 64 डॉलर में खरीद कर 100 रुपए में बेच रही है। हालांकि मोदी सरकार 35 डॉलर में जब खरीदती थी तो भी 80 रुपए के पार पेट्रोल बेचती थी।

कच्चे तेल की कीमतों के घटने से भी आम आदमी को नहीं फायदा हुआ

पेट्रोल और डीजल क्रूड (जमीन से निकलने वाला कच्चा तेल) से बनता है। इसलिए एक भोलाभाला आदमी सोचता है कि क्रूड की कीमत घटेगी, तो पेट्रोल-डीजल भी सस्ता होगा और क्रूड की कीमत बढ़ेगी, तो पेट्रोल-डीजल भी महंगा होगा। लेकिन आज की जमीनी हकीकत यह है कि क्रूड तो सस्ता है लेकिन पेट्रोल-डीजल का प्राइस उस स्तर पर जा पहुंचा है, जहां यह पहले कभी नहीं पहुंचा था।

2014 में कच्चे तेल की कीमत 110 रुपए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब 2014 में पहली बार सत्ता में आए थे, उस दिन क्रूड का ग्लोबल रेट करीब 110 डॉलर प्रति बैरल था और दिल्ली में पेट्रोल 71.41 रुपए प्रति लीटर का बिक रहा था। गुरुवार को क्रूड 64 डॉलर प्रति बैरल पर चल रहा था। साधारण गणित लगाकर देखें, तो क्रूड के इस प्राइस पर दिल्ली में पेट्रोल की कीमत करीब 42 रुपए प्रति लीटर होनी चाहिए। लेकिन देश में पेट्रोल करीब 90 रुपए और डीजल करीब 80 रुपए प्रति लीटर के प्राइस पर बिक रहा है। ऐसा क्यों? पेट्र्रोल-डीजल को महंगा बनाने के लिए आखिर कौन है मुख्य जिम्मेदार? इसी बात को हम यहां समझेंगे।

कुछ जगहों पर 100 रुपए के ऊपर पहुंचा पेट्रोल का भाव

गौरतलब है कि सादे पेट्रोल की कीमत राजस्थान के श्रीगंगानगर में बुधवार को और मध्य प्रदेश के अनूप पुर में गुरुवार को 100 रुपए प्रति लीटर को पार कर गई। प्रीमियम पेट्रोल सादे पेट्रोल से महंगा ही होता है। डीजल का प्राइस भी इन दिनों ऑलटाइम पर चल रहा है। जबकि क्रूड का प्राइस न तो ऑलटाइम हाई पर है और न ही यह ज्यादा है।

PM मोदी ने आसमान छूती कीमतों का ठीकरा पिछली सरकारों के सिर पर फोड़ा

PM नरेंद्र मोदी ने बुधवार को पेट्रोल व डीजल की आसमान छूती कीमतों का ठीकरा पिछली सरकारों के सिर पर फोड़ा था। उन्होंने कहा था कि यदि देश को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाने का काम पहले किया गया होता, तो भारत को आज ज्यादा आयात नहीं करना पड़ता। जानकारी के लिए बता दें कि कारोबारी साल 2019-20 में भारत ने अपनी जरूरत के 85% क्रूड ऑयल और 53% नेचुरल गैस का आयात किया था। लेकिन क्रूड का रेट तो अभी ज्यादा नहीं है, इसलिए यह तो नहीं माना जा सकता कि पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमत के लिए सिर्फ आयात ही जिम्मेदार है। फिर कौन है मुख्य जिम्मेदार?

पेट्रोल के प्राइस में करीब 60% हिस्सा टैक्स का

पेट्रोल-डीजल की जो कीमत हम पेट्रोल पंप पर देते हैं, वह कैसे तय होता है? दिल्ली में पेट्रोल के प्राइस में करीब 60% हिस्सा टैक्स का होता है। सिर्फ करीब 35% हिस्सा बेस प्राइस का होता है, जो क्रूड के ग्लोबल प्राइस से तय होता है। यानी, क्रूड का प्राइस घटेगा या बढ़ेगा, तो पेट्रोल के प्राइस का सिर्फ करीब एक तिहाई हिस्सा ही घटेगा या बढ़ेगा। बाकी करीब दो-तिहाई हिस्सा लगभग जस का तस रहेगा, क्योंकि वह तो टैक्स या अन्य शुल्क है। मतलब यह कि यदि पेट्रोल 100 रुपए का है, तो उसकी असली कीमत सिर्फ करीब 35 रुपए है और इसी पर ग्लोबल क्रूड प्राइस का असर होता है। इसके ऊपर करीब 65 रुपए का टैक्स वह अन्य शुल्क लगता है, जिस पर क्रूड प्राइस के घट-बढ़ का कमोबेश असर नहीं होता।

टैक्स ही है कीमत बढ़ाने वाला मुख्य वीलेन

इसलिए पेट्रोल-डीजल का प्राइस यदि इतने ऊंचे स्तर पर जा पहुंचा है, तो इसका कारण सिर्फ केंद्र व राज्य सरकारों का टैक्स है। पिछले 3 साल में केंद्र व राज्य सरकारों ने पेट्रोल-डीजल पर टैक्स लगाकर करीब 14 लाख करोड़ रुपए कमाए हैं। महामारी के दौरान केंद्र ने पेट्रोल पर एक्साइज शुल्क को प्रति लीटर 19.98 रुपए से बढ़ाकर 32.98 रुपए कर दिया। इस दौरान डीजल पर भी एक्साइज शुल्क को 15.83 रुपए से बढ़ाकर 31.83 रुपए कर दिया गया। कई राज्यों ने भी इस दौरान दोनों ईंधनों पर वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) बढ़ा दिए।

पेट्रोल-डीजल प्राइस के मुख्य कंपोनेंट

  • बेस प्राइस
  • माल ढुलाई
  • डीलर का कमीशन
  • केंद्र सरकार का एक्साइज शुल्क
  • राज्य सरकार का वैट

पेट्रोल प्राइस में करीब 60% और डीजल प्राइस में करीब 55% हिस्सा टैक्स का

दिल्ली में पेट्रोल की कीमत गुरुवार 18 फरवरी 2021 को 89.88 रुपए थी। इसमें बेस प्राइस का हिस्सा 31.82 रुपए और माल ढुलाई का हिस्सा 0.28 रुपए था। डीलर कमीशन का हिस्सा 3.68 रुपए था। बाकी 53.56 रुपए टैक्स का है। यानी पेट्रोल की कुल कीमत में टैक्स का हिस्सा 60% होता है। इसी तरह से गुरुवार को दिल्ली में दिल्ली में डीजल की कीमत 80.27 रुपए थी। इसमें बेस प्राइस का हिस्सा 33.46 रुपए और माल ढुलाई का हिस्सा 0.25 रुपए था। डीलर कमीशन का हिस्सा 2.51 रुपए था। बाकी 44.05 रुपए टैक्स का है। यानी डीजल की कुल कीमत में टैक्स का हिस्सा करीब 55% होता है।

मोदी सरकार के काल में क्रूड 41% सस्ता, लेकिन पेट्रोल 26% महंगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार 26 मई 2014 को सत्ता संभाली थी। उस दिन दिल्ली में पेट्रोल कीमत 71.41 रुपए प्रति लीटर और डीजल कीमत 56.71 रुपए प्रति लीटर थी। उस दिन से अब तक दिल्ली में पेट्र्रोल 26% महंगा हो चुका है, जबकि डीजल 42% महंगा हुआ है। जबकि इस दौरान प्रमुख कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड का मूल्य 110 डॉलर प्रति बैरल से 41% घटकर 65 डॉलर प्रति बैरल पर आ चुका है।

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