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सभी मोबाइल के लिए सिर्फ एक चार्जर होगा: EU का फैसला दिलाएगा कई तरह के चार्जर रखने के झंझट से मुक्ति, एपल को इससे अपत्ति; जानिए भारत में इस फैसले का असर

ब्रुसेल्स28 मिनट पहले

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बात चार्जर की हो तो मार्केट में टाइप-C,टाइप-B, टाइप-A जैसे कई तरह मिल जाएंगे। अक्सर चार्जर के केबल में फर्क होने से यदि मोबाइल चार्जर भूल गया हो तो हम मोबाइल चार्ज नहीं कर पाते हैं। सोचिए कि यदि ऐसा हो जाए कि आप एक ही चार्जर से सभी फोन चार्ज कर लें तो कैसा हो!

दरअसल यूरोपियन यूनियन(EU) ने फैसला लिया है कि वह स्मार्टफोन के लिए एक यूनिवर्सल चार्जर का नियम लागू करेगी। इससे अब अलग-अलग ब्रांड के फोन के लिए अलग चार्जर की जरूरत नहीं होगी। आप एक ही चार्जर से सारे फोन चार्ज कर सकेंगे।

एक चार्जर होने से इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट कम होगा
हालांकि इस फैसले से एपल कंपनी खुश नहीं है इससे यूरोपियन यूनियन और एपल के बीच टकराव की स्थिति बन रही है। जहां यूरोपियन कमीशन का कहना है कि अगर सभी डिवाइस के लिए एक जैसे चार्जर होंगे तो इससे इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट को कम करने में बड़ी मदद मिलेगी। वहीं एपल का मानना है कि अगर ऐसा किया जाता है तो इससे इनोवेशन रुक जाएगा और प्रदूषण बढ़ेगा।

यूरोपियन यूनियन में करीब 45 करोड़ लोग हैं और USB-C टाइप केबल को स्टैंडर्ड बना देने से ग्लोबल स्मार्टफोन मार्केट पर भी असर पड़ेगा।

टाइप-C चार्जर से एपल को दिक्कत क्यों?
अभी एपल के आईफोन में लाइटनिंग टाइप चार्जर का इस्तेमाल होता है। वहीं यूरोपियन यूनियन टाइप-C चार्जर को स्टैंडर्ड बनाना चाहती है। मौजूदा समय में लोगों को आईफोन के लिए लाइटनिंग टाइप चार्जर इस्तेमाल करना होता है, जबकि बहुत से लोगों को अपने फोन के लिए माइक्रो-USB चार्जर इस्तेमाल करना पड़ता है। वहीं USB टाइप-C चार्जर का इस्तेमाल भी अब लगातार बढ़ रहा है।

यूरोपियन यूनियन ने कहना है कि यहां के लोग हर साल करीब 2.4 अरब यूरो यानी लगभग 2.8 अरब डॉलर सिर्फ चार्जर खरीदने पर खर्च करते हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के साथ नहीं आता। एपल ने कहा है कि यूरोपियन यूनियन के यूनिवर्सल चार्जर के फैसले से ना सिर्फ यूरोप के लोगों को, बल्कि पूरी दुनिया के ग्राहकों को दिक्कत होगी।

भारत पर इस फैसले का असर!
अगर बात यूरोपियन यूनियन की करें तो इसमें कुल 27 देश शामिल हैं, लेकिन भारत इसका हिस्सा नहीं है। ऐसे में यूरोपियन यूनियन का यूनिवर्सल चार्जर का नियम भारत पर लागू नहीं होगा। हालांकि, जब एपल जैसी कंपनी यूरोपियन यूनियन के देशों के लिए कोई एक चार्जर बनाएगी, तो वही चार्जर वह बाकी दुनिया के देशों के लिए भी बनाना चाहेगी, ताकि उसका खर्च कम हो सके।

हां वो बात अलग है कि अगर कंपनी अपने चार्जर से भी मोटी कमाई करने की रणनीति बनाकर बैठी हो तो आने वाले वक्त में भारत में एपल के डिवाइस कई तरह के चार्जर के साथ दिख सकते हैं।

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