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बात पते की: भारत में 10 साल में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल प्रति व्यक्ति 30% बढ़ा, गलत तरीके से खाने पर किडनी फेल होने और डायरिया का खतरा

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नई दिल्ली33 मिनट पहले

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  • वायरल इंफेक्शन में एंटीबायोटिक्स काम नहीं करती, इसे डॉक्टर की सलाह से ही लें

जरा सा सर्दी-जुकाम हुआ तो हम एंटीबायोटिक टेबलेट खा लेते हैं, लेकिन यह गलत है, क्योंकि एंटीबायोटिक्स हर बीमारी का इलाज नहीं है और इसे ज्यादा खाने से अन्य बीमारियों का खतरा है। वर्ल्ड एंटीबायोटिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पिछले 10 साल में प्रति व्यक्ति एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल 30% तक बढ़ गया है। यानी हर एक भारतीय पहले से 30% ज्यादा एंटीबायोटिक खाने लगा है।

नई दिल्ली, एम्स में रूमैटोलॉजी डिपार्टमेंट की हेड डॉक्टर उमा कुमार कहती हैं कि एंटीबायोटिक्स के गलत इस्तेमाल से डायरिया, ड्रग रैश, किडनी फेल होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

आइए एंटीबायोटिक्स के फायदे, नुकसान और उससे जुड़े हर सवाल के जवाब डॉ. उमा से जानते हैं-

  • एंटीबायोटिक क्या है?

यह एंटीमाइक्रोबियल दवाएं होती हैं, जिन्हें बैक्टीरिया को किल करने और उनकी ग्रोथ को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

  • एंटीबायोटिक कब लेनी चाहिए?

एंटीबायोटिक्स तभी लेना चाहिए, जब कोई बैक्टीरिया इंफेक्शन हो, जैसे- स्किन में, दांत में इंफेक्शन आदि। लेकिन डॉक्टर की सलाह पर ही लें। वायरल इंफेक्शन में एंटीबायोटिक्स काम नहीं करते हैं। कुछ लोग जुकाम, गले खराब होने या बुखार होने पर भी एंटीबायोटिक्स ले लेते हैं, जो कि गलत है।

एंटीबायोटिक्स दो तरह की होती हैं। पहली ब्रॉड एंटीबायोटिक हैं, ये बहुत सारी बैक्टीरिया को कवर करती हैं। यह तब दी जाती हैं, जब बैक्टीरिया के बारे में पता ही नहीं होता है। दूसरी नैरो एंटीबायोटिक हैं, ये एक या दो बैक्टीरिया को किल करती हैं। ये तब दी जाती हैं, जब बैक्टीरियल वायरस के बारे में पता होता है।

  • कौन लोग एंटीबायोटिक्स नहीं ले सकते हैं?

ऐसा कोई ग्रुप नहीं है, जिसे एंटीबायोटिक्स नहीं दी जा सकती है, लेकिन इसे देते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना होता है। जैसे- यदि आपको एंटीबायोटिक्स लेने से रिएक्शन हो रहा है, तो इसे न लें। बच्चों को कुछ एंटीबायोटिक्स नहीं देते हैं। उम्रदराज लोगों को एंटीबायोटिक्स की कम डोज देते हैं।

दुनिया में एंटीबायोटिक्स के कुल इस्तेमाल में 47.40% का इजाफा हुआ

अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज डायनामिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी (CDEEP) की रिपोर्ट के मुताबिक 2010 से 2020 के बीच दुनिया में एंटीबायोटिक्स के कुल इस्तेमाल में 47.40% का इजाफा हुआ है। अमेरिका में हर साल 28 लाख लोगों को एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से जुड़े इंफेक्शन होते हैं। इनमें से 35 हजार लोगों की जान चली जाती है।

  • स्टडी क्या कहती हैं?

जन्म के 14 दिन के अंदर एंटीबायोटिक्स देने पर लड़कों पर निगेटिव असर पड़ता है

रिसर्च के मुताबिक जन्म के शुरुआती दिनों में बच्चे को एंटीबायोटिक्स देने पर नवजात का विकास प्रभावित हो सकता है। जन्म के 14 दिन के अंदर एंटीबायोटिक्स देने पर लड़कों के कद और वजन में कमी आ सकती है। हालांकि लड़कियों पर इसके कोई नकारात्मक असर सामने नहीं आए हैं।

मेयो क्लीनिक की रिसर्च के मुताबिक यदि दो साल से कम उम्र के बच्चों को एंटीबायोटिक दवाएं अधिक देते हैं तो भविष्य में उन्हें अस्थमा, मोटापा या एक्जिमा जैसी बीमारियां हो सकती हैं।

भारतीय लोग जुकाम में भी एंटीबायोटिक्स खाते हैं, यह गलत धारणा है

भारत दुनिया में एंटीबायोटिक्स दवाओं के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ज्यादातर भारतीय सोचते हैं कि एंटीबायोटिक्स सामान्य सर्दी और गैस्ट्रोएन्टराइटिस जैसी बीमारियों का इलाज कर सकती हैं, यह गलत धारणा है। इन संक्रमणों में से अधिकांश वायरल इंफेक्शन के चलते होते हैं और एंटीबायोटिक्स की उनके इलाज में कोई भूमिका नहीं होती है। इसलिए डॉक्टर की सलाह के बाद ही एंटीबायोटिक्स लें।

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