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पूरी दुनिया ने ली राहत की सांस: स्वेज नहर में छह दिन से फंसा मालवाहक जहाज निकाला गया, अब तक 50 हजार मिलियन डॉलर से भी ज्यादा का नुकसान हुआ

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एक घंटा पहले

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मिस्र की स्वेज नहर में पिछले छह दिन से फंसा मालवाहक जहाज आखिरकार आज चल पड़ा। ये जहाज एशिया से यूरोप के बीच माल ढुलाई का काम करता था। जहाज के नहर में फंसने से दोनों तरफ करीब 150 से ज्यादा मालवाहक जहाज फंस गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, समय से माल की सप्लाई न होने से करीब 50 हजार मिनियन डॉलर का नुकसान हुआ है। हर घंटे 400 मिलियन डॉलर के नुकसान का अनुमान लगाया गया है। इन्च केप शिपिंग सर्विसेज ने बताया कि विशालकाय कंटेनर जहाज को आंशिक रूप से निकाल लिया गया है। इससे अब ट्रैफिक फिर से खुल गया है।

ट्रैफिक बाधित होने से हुआ नुकसान

  • स्वेज नहर से जहाजों की आवाजाही बाधित होने का सबसे ज्यादा असर यूरोप पर पड़ा है।
  • इसकी वजह से खाने-पीने की उन चीजों की कमी होने लगी थी, जिनकी ढुलाई इस रास्ते से होती है।
  • दुनिया में करीब 12 व्यापार के लिए स्वेज नहर रूट का इस्तेमाल होता है।
  • सप्लाई में देरी की आशंका से लंदन में रोबस्टा के फ्यूचर्स में 2.8% का उछाल आया।
  • मई डिलीवरी और जुलाई डिलीवरी के फ्यूचर्स के बीच फर्क 30% से ज्यादा बढ़ गया।
  • इसके चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में उछाल आया। न्यूयॉर्क में ब्रेंट क्रूड का भाव 2.16% चढ़कर 63.29 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
  • वेस्ट टेक्सस इंटरमीडियट क्रूड ऑयल 2.54% की तेजी के साथ 60.05 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया।
स्वेज नहर में फंसा 'द एवर ग्रीन' जहाज 1300 फीट लंबा है।

स्वेज नहर में फंसा ‘द एवर ग्रीन’ जहाज 1300 फीट लंबा है।

दुनिया के सबसे बड़े जहाज में से एक है

इस मालवाहक जहाज का नाम ‘द एवर ग्रीन’ है। पनामा का ये जहाज एशिया से यूरोप के बीच माल ढुलाई का काम करता है। इसकी लंबाई 1300 फीट की है। पिछले मंगलवार यानी 23 मार्च को स्वेज नहर में ये जहाज फंस गया था, जिससे दोनों तरफ का यातायात बाधित हो गया। इस जहाज पर तेल लदा है। इस जहाज के क्रू में करीब 25 भारतीय भी हैं। इस ट्रैफिक जाम में करीब 150 जहाज फंसे हुए थे, जिनमें 13 मिलियन बैरल कच्चे तेल से लदे लगभग 10 क्रूड टैंकर भी शामिल थे। इसके चलते कई देशों में पेट्रोलियम पदार्थों की डिलिवरी में देरी हो रही थी और कार्गो के फंसने के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया था।

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