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जरूरत की खबर: दिल्ली से चल दिया है कोरोना, पता कर लें कि आपकी वैक्सीन काम कर रही है या नहीं, जानिए कैसे

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2 घंटे पहलेलेखक: अलिशा सिन्हा

देश में एक बार फिर कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। राजधानी दिल्ली के बाद हरियाणा, केरल, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में भी पिछले दो दिन में केस बढ़े हैं। IIT मद्रास में अब तक 55 लोग कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं।

कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए लोगों के मन में कई तरह सवाल आ रहे हैं। ऐसे ही एक सवाल है कि जो लोग दोनों डोज ले चुके हैं, क्या उन्हें तीसरे डोज की जरूरत है। कुछ लोगों ने तीसरा डोज भी ले लिया है। तो क्या उनकी वैक्सीन काम कर रही है? आखिर यह पता कैसे चलेगा? ऐसे तमाम सवालों का हम जवाब देंगे। उससे पहले एक नजर डाल लेते हैं ‌BHU के एक सर्वे पर-

BHU के बायोलॉजिस्ट ने एक सीरो सर्वे किया है, जिसमें 116 लोगो का सैंपल लिया गया।

सर्वे में चौकाने वाली बात सामने आई

  • 116 में से मात्र 17 फीसदी लोगों में ही एंटीबॉडी पाई गई है।

सीरो सर्वे पर वैज्ञानिकों ने कहा-

  • अगर 70 फीसदी से ज्यादा लोगों के अंदर एंटीबॉडी खत्म हो जाती है तो कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं।

देश में प्रिकॉशन डोज भी लगाया जा रहा है तो फिर एंटीबॉडी क्यों नहीं बन रही। आपको बता दें कि…

  • स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े कहते हैं कि मात्र 15 फीसदी लोगों को ही प्रिकॉशन डोज लगे हैं।

समझते हैं कि आखिर एंटीबॉडी है क्या?

जब कोई वायरस आपके शरीर में आता है तो उससे लड़ने के लिए कुछ प्रोटीन बनते हैं, जो वायरस की तरह ही आपके शरीर में होते हैं। ऐसे प्रोटीन को ही एंटीबॉडी कहा जाता है।

यह दो तरह का होता है–

  • IGM – यह किसी भी संक्रमण के लिए बॉडी का शुरुआती प्रोसेस है। यह संक्रमण के पहले स्टेज में डेवलप होता है। एक्सपर्ट के मुताबिक IGM ही बताता है कि इंसान इम्यून फेज में आ चुका है।
  • IGG – इसमें एंटीबॉडी से संक्रमण का देर से पता चलता है। IGG एंटीबॉडी लंबे समय तक शरीर में रहता है।

आपकी वैक्सीन काम कर रही है या नहीं। इसके लिए आपको कराना होगा एंटीबॉडी टेस्ट।

सवाल- एंटीबॉडी टेस्ट में कैसे पता चलता है वैक्सीन काम कर रही है या नहीं?
जवाब-
अगर पूरी तरह से वैक्सीनेटेड हैं और टेस्ट के बाद आपकी एंटीबॉडीज कम आती हैं तो इसका मतलब है कि वैक्सीन का असर आपके शरीर में कम हो गया है, लेकिन अगर आपके शरीर में एंटीबॉडीज ज्यादा हैं तो इसका मतलब है कि वैक्सीन अब भी काम कर रही है।

सवाल- एंटीबॉडी टेस्ट कराने में कितना खर्च आता है?
जवाब-
इसका टेस्ट करवाने में लगभग 500 से 1000 हजार रुपए तक का खर्च आ सकता है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने एंटीबॉडी की जांच के लिए डिप्कोवैन किट बनाई थी, जिसकी कीमत मात्र 75 रुपए है।

सवाल- रिपोर्ट मिलने में कितना समय लगता है?
जवाब-
एंटीबॉडी टेस्ट कराने के बाद रिपोर्ट मिलने में ज्यादा देर नहीं लगती है। आपको 1-2 घंटे के अंदर रिपोर्ट मिल जाती है।

अब सवाल उठता है कि क्या सिर्फ वैक्सीन लगवाने से एंटीबॉडी बनती है?
जवाब-
ऐसा नहीं है। पहली बार हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम एंटीबॉडी बनाता है।

सवाल- इम्यून सिस्टम एंटीबॉडी कैसे बनाता है?
जवाब-
जब आपका शरीर बीमारी पैदा करने वाले बाहरी पैथोजन के कॉन्टेक्ट में आता है तब आपका इम्यून सिस्टम इन पैथोजन से लड़ने के लिए उनके जैसा ही प्रोटेक्टिव प्रोटीन बनाता है। यही एंटीबॉडी है। फिर एंटीबॉडी बाहरी वायरस को पहचान कर उसे मारने में मदद करता है।

पहली बार एंटीबॉडी तब बनती है जब हमारी बॉडी किसी वायरस की कॉन्टेक्ट में आती है। दूसरी बार एंटीबॉडी तब बनती है जब वैक्सीनेशन करवाया जाता है। अगर आप कोरोना से रिकवर हो चुके हैं। तब भी आपके शरीर में एंटीबॉडी बनेगी।

सवाल- एंटीबॉडी की मात्रा के आधार पर संक्रमण के खतरे को आंका जा सकता है या नहीं?

जवाब- एंटीबॉडी की मात्रा के आधार पर संक्रमण के खतरे को नहीं आंका जा सकता है।

हालांकि एक सच ये भी है कि एंटीबॉडी ज्यादा दिनों तक बने रहने से भी फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि वैक्सीनेशन या संक्रमण से रिकवर होने के बाद शरीर के टी-सेल्स की मेमोरी में एंटीबॉडी बनाने वाले तत्व आ जाते हैं।

सवाल- आखिर टी सेल्स क्या होते हैं?
जवाब-
टी सेल को लिम्फोसाइट भी कहा जाता है। ये वाइट ब्लड सेल का एक प्रकार है और इम्यून सिस्टम का महत्वपूर्ण हिस्सा भी।

सवाल- एंटीबॉडी कमजोर होने पर टी सेल्स हमारी रक्षा कैसे करते हैं?
जवाब-
फार्मा एक्सपर्ट डॉ तुषार गोरे के अनुसार, जब आपको वैक्सीन लगती है तो वैक्सीन आपके शरीर में मौजूद टी सेल्स को वायरस से लड़ने के लिए मजबूत बनाता है। जिसके बाद टी सेल वायरस को मारने लगता है। इसलिए कई बार एंटीबॉडी कमजोर होने पर भी टी सेल्स हमारी रक्षा करता है।

सवाल- कब तक चलेगा वैक्सीन का सिलसिला
जवाब-
कोरोना की वैक्सीन का सिलसिला कब तक चलेगा इसके बारे में अब तक एक्सपर्ट ने साफ नहीं किया है। डॉक्टरों का अनुमान है कि जब तक इसकी रोकथाम पूरी तरह से नहीं हो जाती समय-समय पर वैक्सीन लेते रहना और सावधानी बरतना ही उपाय है।

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